________________ खीमसिंह तथा वीरदेवसुत-वरसिंह-अरसिंहपुत्रभृतिकुटुम्बसहितेन गांगदेवेन कारितानि। 6) धर्मनाथ-पञ्चतीर्थीः संतव् 1234 वर्षे आषाढ़ सुदि 1 गुरौ ऊकेशवंशे जहड़गोत्रे सा. उगच पु. सा. खरहकेन भा. नीविणि पुत्र माला वला पासड सहितेन धर्मनाथबिंब निजश्रेयोर्थं कारापितं श्रीखरतरगच्छे भ. श्रीजिनचंद्रसूरिभिः।।* 7) महावीर-पञ्चतीर्थीः सं(व)त् 1260 ज्येष्ठसूदि 2 रेनुमा (?) पु. चोराकेनात्मश्रेयोर्थं श्रीमहावीरबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीअभयदेवसूरिभि।। 8) शान्तिनाथः र्द.।।स्वस्ति श्रीनृपविक्रमसंवत् 1293 वर्षे वैशाखसूदि 15 शनौ अद्येह श्री अर्बुदाचलमहातीर्थे अणहिल्लपुरवास्तव्य श्रीप्राग्वाटज्ञातीय ठ. श्रीचंडप ठ. श्रीचंडप्रसाद महं. श्रीसोमान्वये ठ. श्रीआसराजसुत महं. श्रीमल्लदेव महं. श्रीवस्तुपालयोरनुजमहं. श्रीतेजपालेन कारितश्रीलूणसीहवसहिकायां श्रीनेमिनाथ(*) देवचैत्यजगत्यां श्री चंद्रावतीवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय श्रे. वीरचंद्र भार्या श्रियादेवि पुत्र श्रे. साढदेव श्रे. छाहड श्रे. साढदेव भार्या माऊ पुत्र आसल श्रे. जेलण जयतल जसधर श्रे. छाहडभार्या थिरदेवि पुत्र घांघस श्रे. गोलण जगसीह पाल्हण तथा श्रे. जेलण पुत्र श्रे. समुद्धर श्रे. जयतल पुत्र देवधर मयधर श्रीधर आंबड।।(*) जसधर पुत्र आसपाल। तथा श्रे. गोलण पुत्र वीरदेव विजयसीह कुमरसीह रत्नसीह जगसीह पुत्र सोमा तथा आसपाल पुत्र सिरिपाल विजयसीह पुत्र अरसीह श्रीधर पुत्र अभयसीह तथा श्रे. गोलणसमुद्धर-प्रमुखकुटुंबसमुदायेन श्रीशान्तिनाथदेवबिंब कारितं प्रतिष्ठितं नवांगवृत्तिकारश्री-अभयदेवसूरिसंतानीयैः श्रीधर्मघोषसूरिभिः॥ 6. धर्मनाथ जिनालय, हीरावाड़ी, नागौरः पू. जैन. भाग 2, लेखांक 1289 * यह लेख वास्तव में सं. 1534 का है एवं इसकी सिद्धि पृ. 138-139 पर की है।-संपादक 7. जलमन्दिर, पावापुरीः पू. जै., भाग 2, लेखांक 2029 8. लूणवसही, आबूः प्रा. जै.ले.सं., भाग 2 लेखांख 85 / इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /122 )