________________ * 1* .. बाद में कहा है, हे भात ! प्राणि वध में अगर धर्म हो और उससे.. स्वर्ग मिलता हो तो हम ससार को छुड़ाने वाले किस तरह स्वर्ग / जायेगे ? पशुओं को मार कर, यज्ञ करके, रक्त बहाकरः अगर स्वर्ग का रास्ता खुलता हो तो नरक में कोण जायेगा ... ... मकंड पुराण में कहा हैं जीवों का रक्षण करना श्रेष्ठ हैं, सब जीव जीने की इच्छा रखते हैं / इसलिये सब दानों में अभयदान प्रशस्त माना गया है। पहेला पुष्प अहिंसा, दूसरा पुप्प इन्द्रियों का निग्रह, तीसरा पुष्प जीव मात्र पर दया है, चौथा, विशेष पुष्प क्षमा करना, .- पांचवां पुष्प ध्यान, छटा तप सातवां पुष्प ज्ञान, आटवां पुष्प सत्य, / जिससे देवता भी तुष्टमान होते हैं / इसलिये हमें हमेशा सब जगह जीवों 1 की रक्षा करनी चाहिये / . vie . महाभारत में कहा है, जू, खटमल आदि जन्तुओं को जो नहीं मारता तथा उनकी पुत्र की तरह रक्षा करता है वह स्वर्गगामी जीव / माना जाता है / 20 आंगुलं चौड़ा और 30 प्रांगुल लम्बा वस्त्रं से जो छान कर पानी पीता है और उस वस्त्र में रहे ये जीवों को फिर से पानी में डाल देता है वह जीव परमगति को प्राप्त होता है / सात गांव जलाने से जितना पाप लगता है, उतना एक दिन पानी छाने बिना पीने से लगता हैं / कसाई को एक वर्ष में जितना पाप लगे, उतना एक दिन 1. छाने बिना पानी संग्रह करने वाले को लगता है। जो मनुष्यः वस्त्र से छाने हुये पानी से सारा कार्य करता है। वह मुनि, महासाधु, योगी और महाव्रती है। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust