________________ # 64 1 मनाया। बन्दीखाने से बन्दी जनों की मुक्ति, करमोचन, देव पूजा, गीत मृत्य आदि से श्रीचन्द्र राजा का विशाल महोत्सव हुआ / लक्षमण मन्त्री ने राजा से विनती की कि 'हे देव ! आप श्री के सदाचार से स्वयं प्रापश्री की उत्तमता मालूम हो गई है / ' कहा है कि 'याचार कुल को प्रदर्शित करता है, संम्रम स्नेह को बताता है पौर रूप से भोजन का वर्णन हो जाता है फिर भी आदर से गाते हुए लोग आपश्री के वंश और माता पिता के नाम को जानने की इच्छा करते हैं / यह सुनकर राजा ने सारी सभा के समक्ष बताया कि जब हरिबल माछीमार विशाला नगरी में गया तब क्या नगर के लोगों ने माता पिता मोर कुल को जाना था ? इसलिये हे भाग्यवान पुरुषों ! तुम्हें कुल प्रादि का नाम जान कर क्या करना है ? आप लोगों को तो गुण चाहिये दूसरी चीजों से क्या प्रयोजन है ? यह जवाब सुनकर लोग मौन हो गये। एक बार उस नगर में मनोहर आवाज वाला गायक वीणापुर राजा की पुत्री के स्वयंवर में जाता हुआ वहां आया और राजमार्ग में श्रीचन्द्र के प्रबन्ध को गाने लगा।' 'कुशस्थल के राजा प्रतापसिंह की रानी सूर्यवती ने अोरमान पुत्र के भय से पुष्पों के समूह में पुत्र को रखा था वह श्रेष्ठी के घर वृद्धि को प्राप्त हुआ उसका नाम श्री चन्द्र ऐसा प्रसिद्ध हुआ। बाद में राधावेध, पद्मिनी से पाणिग्रहण वीणारव को दान देना और विदेश गमन आदि बात सुनकर नगर के लोगों ने इच्छित दान देकर पूछा कि तुमने 'श्री' श्रीचन्द्र को देखा है ? बड़े P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust