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________________ 63 10 नगर का राजा कनकध्वज दैवयोग से असुत्रिया ही मृत्यु को प्राप्त हो गया मन्त्रियो ने राज्य की अधिष्ठायिक देवी की आराधना की। बह आई तब उससे पूछा कि राज्य पर किसे स्थापित करें। देवी ने कहा कि 'पंचदिव्य को अधिवासित करो। जिसके मस्तक पर हथिनी अभिषेक करे उसे तुम राजा बना दो। पंचदिव्य तीन दिन नगर में भ्रमण करके नगर के बाहर प्राये। पांच दिव्यों ने श्रीचन्द्र पर अभिषेक किया / हथिनी ने श्रीचन्द्र पर कलश से अभिषेक किया / प्रश्व स्वयं हिनहिनाने लगा, छत्र मस्तक पर अपने पाप आगया, चामर अपने आप दोनों तरफ झूमने लगे / श्री चन्द्र सोचने लगे क्या बात है ? मंत्री ने कहा कि 'हे नाथ ! नवलखा देश का राज्य स्वीकार करो। 'इस नगर का कनकध्वज राजा मृत्यु को प्राप्त हुआ है, उनके नवलखा देश में हमारे भाग्य से पाप राजा हुए हो, राजा की कनकावली नाम की पुत्री है उसके साथ पाणिग्रहण करो। लक्षमण आदि मंत्री बहुत ही प्रसन्न हुए। चन्द्रहास खड्ग से देदीप्यमान अंग वाले, कुन्डल पादि से विभूषित और नाम की अंगूठी से श्रीचन्द्र इस प्रकार का अद्भुत नाम जानकर, देखकर हर्ष से विधि पूर्वक श्रीचन्द्र को राज्य पर स्थापित किया। कनकावली को बायीं मोर उत्सव पूर्वक अभिषेक करके बैठाई। राज्याभिषेक का महोत्सव नगर के लोगों ने बड़े ठाठ से P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036500
Book TitleVardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddharshi Gani
PublisherSthanakvasi Jain Karyalay
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size76 MB
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