________________ * 30 40 लगा हे मित्र अब क्या करेंगे ? श्रीचन्द्र ने कहा कि पद्मिनी आदि स्त्री के चार भेद मैं जानता हूँ इसलिये तूलिख कर उन्हें याद कर ले जिससे तेरा कार्य सिद्ध हो जायेगा। नहीं याद करेगा तो सब कुछ निष्फल हो जायेगा। मदनपाल ने कहा कि अब पढ़ने का टाइम ही कहां है ? 'प्राग लगे तब कुप्रा खोदने जाना' उसके अनुसार तुमने मेरे लिये बहुत मेहनत की है परन्तु मैं अभागी हूँ। अब मैं बताऊ वैसा करो / तुम मेरे से छोटे लगते हो परन्तु रूप में मेरे ही समान हो और अब तुम आभूषण पहनोगे तो बहुत सुन्दर लगोगे इसलिये तुम मेरा वेष पहन कर कन्या से शादी करके मुझे सौंप देना / जो काम तुम्हें भविष्य में करना था वह अभी कर लो / परोपकारी पुरुष याचना का भंग नहीं करते। - श्रीचन्द्र ने कहा अच्छा तुम्हारे कहे अनुसार करता हूँ। बाद में वेष बदल कर मदनपाल अपने रूप में और श्रीचन्द्र अपने वेष में शोभायमान होने लगे। वे दूसरों के वेष से नहीं अपने वेष से शोभ रहे थे / उनके सारे मांगलिक रीति रिवाज राज्य की स्त्रियों ने ही किये। श्रीचन्द्र ने स्वर्ण रत्नों से जड़ित मुकट धारण किया, कानो पर कुडल प हाथ में अपने नाम की अंगूठी पहनी / देदिप्यमान राजा की भांति वे हाथी पर सवार हुए, ऊपर छत्र व दोनों तरफ चामर डुलने लगे और पाजे बजाने वाले आगे चलने लगे। अनेक सैनिकों आदि के साथ वह जुलूस सारे शहर में फिरता हुआ राज्य सभा में पाया / .. भाट ने श्रीचन्द्र की जय जयकार की और कहा धनवती पारि P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust