________________ . 26 * दान देना जिससे तेरी प्रसिद्धि हो जायेगी। उसके बाद जो योग्य होगा मैं करूगा / जिससे राजा को खबर पहुंचेगी कि कुशस्थल से गुप्त रीति से श्रीचन्द्र पाए हैं बाद में तो कर्म की शक्ति बलवान है / यह सुनकर तो मदनपाल बहुत ही हर्षित हुआ। इस प्रकार दोनों ने निश्चय किया। ऊपर की मंजिल पर मदनपाल श्रीचन्द्र बन कर रहता है और द्वार पर श्रीचन्द्र जो योग्य समझता है करता है। उसके बाद एक दिन राजा को समाचार मिले कि श्रीचन्द्र यहां आए हुए है तब राजा बहुत खुश हुआ। श्रीचन्द्र ने मदनपाल से कहा कि अब तू मुनि की तरह मौन रहना। उसके बाद श्रीचन्द्र ने अपने चातुर्य से राजा कन्या और मंत्रियों को खुश किया। राजा ने बहुत ही मुश्किल से उसे शादी के लिये मनवाया। शादी में देर नहीं करनी चाहिये / दुसरे ही दिन गोधुलिक समय में लग्न पक्का हुआ / दोनों जगह शादी की तैयारियां होने लगीं / श्रीचन्द्र पाये हैं ऐसा जानकर लोगों ने नगर को बहुत सुन्दर ढंग से सजाया / शादी के दिन मदनपाल एक झरोखे में बैठा है उसी समय मार्ग से जाती हुई पनिहारियों की बातचीत उसने सुनी, हे बहन तू आज जल्दी 2 क्यों जा रही है ? जवाब मिला कि हे सखी क्या तू नहीं जानती ? प्रियंगुमंजरी और श्रीचन्द्र दोनों गुणधर पाठक से पढ़े हैं / राजकुमारी पद्मिनी के लक्षणों की गोष्ठी करके फिर शादी करेगी, वहां बहुत आनन्द प्रायेगा। यह सुनकर मदनपाल को चिंता हुई। वह श्रीचन्द्र से पूछने P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust