________________ * 12 10 कहा कि 'हे धीर पुरुष ! इस राज्य का तुम उद्धार करो। राक्षस ने रानियों से कहा कि, 'हे रानियों ! तुम्हारे और मेरे भाग्य से कोई पुण्यात्मा यहां आयी है। पाज से तुम मेरी बहनों के समान हो, मेरे दुष्ट वचनों को जो कि मैं पहले बोल चुका हूं उसे तुम क्षमा करदो। मैंने इस व्यक्ति को महात्मा, धीर तथा गंभीर पुरुष जानकर यह राज्य इन्हें अषित कर दिया है। ___ तब श्रीचन्द्र ने कहा कि 'हे माताओं ! आपके कुल में इस राज्य को संभाल सकने वाला कोई है ?' रानियों ने कहा कि 'हे वत्स ! जो कुछ राक्षस ने कहा है उसमें हम सहमत हैं / ' गुणवती रानी ने कहा कि मेरी पुत्री चन्द्र मुखी को तुम ग्रहण करो। श्रीचन्द्र ने कहा कि 'पाप लोग अज्ञात कुल शील वाले को कन्या क्यों सौंप रहे हैं।' इतने में सक्षस ने अपनी शक्ति द्वारा हाथियों, घोड़ों तथा सेना लोगों आदि को वहां प्रगट कर दिया तथा कन्या को भी ले आया। श्रीचन्द्र ने कहा कि हे राक्षस राज ! मुझे कन्या क्यों सौंप रहे हो? तुम्हें योग्य जानकर ही कन्या दी है, ऐसा राक्षस ने जवाब दिया / श्रीचन्द्र ने अपनी अंगूठी बतायी, नाम जानकर सबको बहुत खुशी हुई। राक्षस ने श्रीचन्द्र का नगर में राज्याभिषेक करके उसकी आज्ञा का विस्तार करके कहा, जिस पापी ने मेरे पास चोरी का माल रख कर मुझे मरवाया था उस वज्रखुर चोर को मैंने मार दिया है। .P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust