________________ * 125 बन्दर पर पहुँचा / वहां से मोती खरीद कर घूमता हुआ चन्दन बारह वर्ष बाद कोणपुर पहुँचा | टूटे हुये जहाज के लोग लकड़ी के टुकड़ों के सहारे निकल कर पहले ही कोणपुर पहुँच गये थे। उन्होंने चन्दन का जहाज डूबने के समाचार कहे / जिस कारण सेठ मित्रों और अशोक श्री को बहुत दुख हुमा / उन्होंने 6-7 वर्ष तक समुद्र में खोज करायी परन्तु चन्दन का पता ही नहीं लगा / लोक अपवाद से अशोकश्री ने विधवा का वेश पहना परन्तु उसे विश्वास नहीं हो रहा था / चन्दन बाहर वर्ष बाद एक दम पाया जान कर सेठ और अशोक श्री को बहुत . खुशी हुई। __ सेठ, मित्र सास, ससुर नगर के लोग आदि चन्दन को लेने उसके सन्मुख गये / वह उचित दान को देता हुआ महोत्सव पूर्वक नगर में आया। घर में प्रवेश किया / अशोक श्री का धर्म कल्पद्रुम फलीभूत हुआ / कालक्रम से नरदेव राजा हुआ और प्रिय मित्र नगर सेठ हुआ / एक दिन वहां ज्ञानी गुरुदेव पधारे / राजा, भी कान्ता, चन्दन, अशोकश्री ने लोगों सहित आकर गुरू नंदन किया और यथा योग्य स्थान पर सब बैठे। प्राचार्य श्री ने धर्मलाभ पूर्वक धर्मदेशना देते हुये कहा, जिस प्रकार छाछ में से मक्खण, कीचड़ में से कमल, समुद्र में से अमृत, बांस में से मोती, उसी प्रकार मनुष्य भव में धर्म ही सार हैं / अन्त में राजा ने पूछा किस कर्म के योग से चन्दन और अशोकश्री का वियोग हुआ ? और किरा पुण्य से वापस संयोग हुआ ? गुरुदेव फरमाने लगे कि जीव P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust