________________ .. . ...श्रीचन्द्र ने कहा कि "हींग, मिर्च, जीरा और गंध से युक्त, जा बड़ा दांत के बीच में रखा हुआ तुरन्त ही झुक 2 . शब्द की अावाज करता हश्रा, प्रेमाल पत्नी द्वारा प्रेम पूर्वक दिया हुआ सुन्दर बड़ा . भाग्यशाली पुरषों के मुख में प्रवेश करता है / ... इस प्रकार श्रीचन्द्र और चन्द्रकला परस्पर बातचीत कर रहे थे। तब चंद्रकला को वामांग व चतुग ने विनंति की कि आप श्राचन्द्र के नाम का वर्णन करें। अति आग्रह करने पा पमिनी ने कहा कि, 'लक्ष्मी के क्रीड़ा करने का सरोवर, अट्टहास्य का समूह, दिशा रुपी ललना के मुख दर्शन का काच, रात्रि रुपी श्यामलता का .. पुष्प, प्राकाश रुपी समुंद्र का कमल, तारा रुपी कामधेनु का समूह, रति का गृह, कामदेवरुपी- सुधा कोः बावड़ी जो लक्ष्मी से युक्त है, ऐसे :: श्रीचन्द्र हमेशा विजय को प्राप्त हों सभी ने आग्रह पूर्वक श्री श्रीचन्द्र से कहा कि 'हे" कुल में चन्द्रमा के समान ! चन्द्रकला के नाम का आप श्री भी वर्णन करें।" श्रीचन्द्र ने कहा कि "कामरुपी बाह्मण का ॐ कार तारा रुपी मोतियों की सीप, अंधकार रुपी हस्तियों का अंकुश, श्रृंगार रुपी ताले की चाबी विरहणी के मान को काटने के लिए कैची और चन्द्र सम्बन्धी कला समान, ऐसी यह चन्द्रकला सुशोभित हो रही है।'' - श्रीचन्द्र के तत्वज्ञान, कला और विद्वत्ता से आश्चर्य को प्राप्त हुए सब लोगों ने हंसते 2 कहा कि, चन्द्रः और चद्रिका का वास्तव में उत्तम योग मिला है। स्तुति करते 2 प्रातःकाल. सब 'श्रीचन्द्र को राजमहल में ले जाने को तैयार हुए तब श्रेष्ठी ने कहा कि, “इस प्रकार - P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust