________________ 95 * के कितने गुण हैं ?" विकसित रोमांच पाली चन्द्रकला ने सखी द्वारा पान का बीड़ा ग्रहण कर मधुर स्वर से बोली कि "पान कड़वा, तीखा, गरम, मधुर और कषायरस से युक्त, वायु तथा कृमि को हरने वाला, मुख के अलंकार रुप, मुख विशुद्धि करने वाला, काम अग्नि प्रदीप्त करने वाले ऐसे पान के बीड़े की आपश्री ने प्रसादी दी है। श्रीचन्द्र कहने लगे कि इसके प्रांतरिक, गुणों को कहो, तब वह बोली प्रिय वचन रुपी पान, प्रेम रुपी सुपारी सद्विवेक रुपी मसाला है। संतोष रुपी कपूर है / ऐसा पान का बीड़ा आपने मुझे दिया है।' ___ पद्मिनी ने खिचड़ी के प्रांतरिक गुणों को पूछा, भीचन्द्र ने कहा कि "गुण रुपी अक्षत, समंत्री रुपी दाल है, सम्यकत्व रुपी संपूर्ण घृत से युक्त खीचड़ी का सेवन करना चाहिये / " श्रीचन्द्र ने कहा कि लापसी का वर्णन करो। चन्द्रकला ने कहा कि, 'सुक्ष्म गेहूं का दलिया, घी, गुड़, श्रीफल : के टुकड़े, दाख, खजूर, सूठ, काली मिर्च से युक्त, सुन्दर तांबे की कड़ाई में मन्द अग्नि पर सिकी हुई, प्रचुर घृत से युक्त, उत्तम हेमन्त ऋतु में ऐसी लापसी बहुत ही गुणकारी होती है। . चन्द्रकला द्वारा भृकुटी संज्ञा करने पर कोविदा सखी ने लापसी * के प्रांतरिक स्वरुप को पूछा। श्रीचन्द्र ने कहा कि, "चित्त की भक्ति से शोभित ऐसी, तीन प्रकार की भक्ति रुपी लापसी, भोजन करते समय हमेशा शोभा की वृद्धि करती है। पद्मिनी ने बड़े का स्वरुप पूछा / P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust