________________ नौ 85 कहा है कि, जब तक सुन्दर स्त्री के कमल नयन कटाक्षों का ' वह अपनी इन्द्रियों को वशीभूत कर सकता है। उसके लज्जा, धैर्य, विनय आदि गुण स्थिर रह सकते हैं / "यहां स्त्रियां आती हैं। इसलिये यहां बैठना योग्य नहीं है 'ऐसा कह कर श्रीचन्द्र जिनेश्वर देव के पास जाकर स्तुति करने / लगे / समीप में बैठी हुई पद्मिनी ने श्री अरिहंत भगवान् की स्तुति ... करते श्रीचन्द्र के रुप को एकाग्र दृष्टि से देखा / / सुन्दर शीलवान गुणचन्द्र ने भी सिंहावलोकन दृष्टि से पद्मिनी को देखा / राजकन्या ने भृकुटी संज्ञा से स्वामी का नाम नगर अ.दि पूछा। बुद्धिमान गुणचन्द्र ने हस्त संज्ञा से अपने स्वामी का नाम प्रादि : बताया / पद्मिनी ने भी अपने भाव बताये और हस्त संज्ञा से कुछः / विलम्ब करने के लिए कहा। पद्मिनी ने माता को "श्रीचन्द्र नाम के श्रेष्ठी पुत्र कुशस्थल से प्राये हैं" इस प्रकार की जानकारी दी / श्रीचन्द्र दर्शन करके तत्काल बाहर आये / कुछ ठहरने के हेतु गुणचन्द्र ने कहा चलो हम राजा का पद्भुत महल देख कर पावें / परन्तु अपने मन के भाव छुपा कर "देर हो रही है इसलिये अब हमें जल्दी चलना चाहिये" ऐसा कह कर श्रीचन्द्र रथ की तरफ रवाना हुए। गुणचन्द्र ने चारों ओर दृष्टि डाली परन्तु कहीं भी पद्मिनी या P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust