________________ * 83, 26 कहां रहते हैं ? जल्दी जाकर इनके मित्र से पूछ !" ... उसी समय सखी ने जाकर नमस्कार कर के पूछा कि, 'हे . स्वामी, हे कृपानाथ मेरी नम्र विनति स्वीकार करा। मेरी स्वामिनी चन्द्रकला राजकन्या रुपलक्ष्मी की सुरांगना है। __ मैं उसकी प्रेम पात्र चतुरा सखी हूँ ! मेरी स्वामिना ने आप दोनों के . नाम आदि पूछवाये है / अतः कृपा करके आपश्री मुझे वताए / .... हषं से गुण चन्द्र कहने ही लगा कि श्रीचन्द्र ने वलात् दूर ले जा... कर उसे कहने से रोक दिया / और कहने लगा कि "नाम कुल आदि . पूछने का क्या प्रयोजन है ?" ऐसा कह कर श्रीचन्द्र मित्र के साथ तालाब दुकान आदि देखते 2 नगर में प्रवेश कर गये। .. चतुरा ने आकर वहां जैसा बनाव वना था उसको कह सुनाया। चन्द्रकला ने कहा कि, हे सखी / ये ही मेरे पति हों। इसलिए अब ... तुझे इस विषय में चारों तरफ से प्रयत्न करना पडेगा / वे किसी राजा मन्त्री या श्रेष्ठी के पुत्र होंगे ! किमी के भी हों इस विकल्प से क्या ? जिसे मैंने मन से वर लिया वही मेरे पति हैं ? परन्तु नाम कुल आदि . मैं नहीं जान सकी / वे नगर में कहां गये हैं ? . यह सर्व हकीकत माता को बताने के लिये कोविदा सखी को तुरन्त भेजा / राजकुमारी भी राज वाहन में बैठ कर श्रीचन्द्र के पीछे 2: शहर में गई। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust