________________ 78 सप, ज्वर व्याधि, चोर, सिंह, हस्ति, संग्राम आदि के भय इसके स्मरण मात्र से दूर हो जाते हैं। जिस भाग्यशाली के हृदय रुपी गुफा में केसरीसिंह रूपी नमस्कार रहा हुआ है, वह पुरुष पाठ कर्म रूपी दुर्भेद गांठ का भी कुछ समय में नाश कर देता है। नवकार के एक पद को गिनने से सात सागरोपम के पाप नाश हो जाते हैं / जो मोक्ष चले गये हैं, वर्तमान में जो जा रहे हैं और भविष्य में कर्मों से मुक्त होकर जो मोक्ष जायेंगे, उन सब जिनेश्वरों का इस नमस्कार द्वारा वंदन हो जाता है। श्री जिन शासन का सार, बौदह पूर्व का उद्धार ऐसा श्री नमस्कार मंत्र जिसके चित्त में हो उसका संसार क्या बिगाड़ सकता है। यह महामन्त्र अचित्य फल को देते वाला है।" यह सुन कर मित्र गुणचन्द्र सहित श्रीचन्द्र ने सदभाव पूर्वक सम्यक्त्व मूल श्रावक धर्म को ग्रहण किया और श्री जिनेश्वर भाषित दयामूल हितकारी जन धर्म को प्राप्त करके श्रीचन्द्र अमृत के स्वाद से भी अधिक तृप्ति को प्राप्त गुरुदेव की स्तुति करते हुए श्रीचन्द्र ने कहा कि, आप धर्मरुपी नेत्र को प्रकाशित करने वाले साक्षात् जंगम तीर्थ ही हैं। प्राज भाप श्री के दर्शन करके हमने अपने जीवन को सपाल किया। भापश्री परम पूजनीय है / हितकारी धर्म तत्व को गुरु बिना बुद्धिमान भी नहीं जान सकता / रससिद्धि, कला, विद्या, धर्मतत्व यह गुरु बिना कोई प्राप्त नहीं कर सकता। माता पिता आदि तो सर्व जन्म 2 में मिल सफते हैं / परन्तु धर्म को प्राप्ति कराने वाले सद्गुरु की P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust