________________ कल्प तरु से भी बढ़ कर है / कामघट, देवमणि, कल्पतरु एक ही जन्म में सुख के दाता हैं, परन्तु नमस्कार महामंत्र तो श्रेष्ठ स्वर्ग व मोक्ष को प्राप्ति करवाने वाला है / ___ चार कोड़ा कोड़ी सागरोपम स्थिति वाला मोहनीय कर्म है / उसकी स्थिति केवल एक कोड़ा कोड़ी की ही शेष रहे तो जीव को नमरकार महामन्त्र की प्राप्ति हो सकती है। यदि कोई परमतत्व व परम पद का कारण हो तो नवकार मन्त्र उसमें प्रथम है / परम योगी भी नमस्कार मन्त्र का ध्यान धरते हैं / / ___'ॐ ही अर्ह' यह बीज मन्त्र अपूर्व प्रभावशाली है। सवं मन्त्रों का मूल यह नवकार मन्त्र है / जो जीव विधि पूर्वक पन्द्रह लाख जिनेश्वर भगवान को नमस्कार करता है और विधि पूर्वक पूजन करता है वह भव्यात्मा तीर्थ कर नाम कर्म को बांधता है। इसमें कोई भी संदेह नहीं / जो आठ करोड़, आठ हजार, आठ सौ और पाठ नवकार गिने वह तोसरे भव में सिद्ध पद को प्राप्त होता है। हाथों के आवर्त से श्री नमस्कार मन्त्र का जाप करने वाले को पिशाच डाकिनी, वेताल, राक्षस आदि का भय नहीं रहना। श्री नवकार के प्रभाव से सब पाप नष्ट हो जाते हैं। सिद्ध किया हुअा नमकार मंत्र जल और अग्नि को भी शांत कर देता है। शत्रु, राज!, चोर प्लेग आदि के भयंकर उपर्सग भी इस के ध्यान द्वारा शान्त हो जाते हैं / जंगल में, गिरि गुफा में और समुद्र में भी घ्याया हुआ नमस्कार मंत्र डर को दूर करता है। भव्य जीव द्वारा स्मरण किया हया नमस्कार सैंकड़ों जीवों का उसी प्रकार रक्षण करता है जिस प्रकार माता पुत्र का रक्षण करती है। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust