________________ * 58 श्री 'श्रीचन्द्र' ने पूछा कि "हे मित्र ! इन अश्वों का क्यों मल्य है?" . ... . . / - वृद्ध व्यापारी ने कहा कि, 'हे. कल्याणी ! * मैंने बहुत से अश्व बेच डाले हैं। अब तो उत्तम जाति के केवल 16 अश्व ही बाकी रहे हैं / गुणचन्द्र ने श्रीचन्द्र से पूछा कि, 'हे स्वामिन ! कौनसे अश्व उत्तम हैं ?" श्री 'श्रीचन्द्र' ने परीक्षा करके कहा कि, "जिन अश्वों के मुख और पैर उज्वल हैं वे गंगाजल जाति के हैं। जिनके ऊपर अष्ट मंगल रेखा हैं वह ताक्ष्य जाति के हैं। जो लाल रंग का है; वह कीया जाति का है / श्याम रंग अश्व खुगार जाति का है / हल्का पीला तथा श्याम रंग के पैर वाला अश्व कुला जाति का है / जो विचित्र रंग का है वह हला जाति का है। जो अश्व घृत जैसी क्रान्ति वाला तथा निर्मल है वह सराह जाति का है / जो पीला और लाल रंग का और श्याम रंग के पैरों वाला है वह रोहनाक जाति का है जो हरे रंग का है वह हरीक जाति का है / जो श्वेत और पीले रंग के हैं वे होलक जाति के हैं। ये दोनों अश्व पंचभद्र जाति के हैं। ये प्रति उत्तम और अति वेग से चलने वाली जोड़ी है। उनकी छाती, पीठ, मुह और पसली में शुभ लक्षण हैं।" ___ इतने में जयकुमार आदि अश्व खरीदने के लिए प्राये। वे एक नहीं खरीद सके। उन्होंने कई बलिष्ठ अश्व देख कर, 25 और 5. हजार में इच्छानुसार खरीद लिये / अब केवल तीन अश्व बाकी रह P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust