________________ * 47 90 मभारे में जाने का क्या उद्देश्य है : . .. .... .सुन्दरी ने कहा कि, "कुशस्थल के प्रतापसिंह राजा वर्तमान में रत्नपुर में रुके हुए हैं। उनकी सूर्यवती राणी है / मैं उसकी सहेली सैन्द्री हूं। कुल के श्रृंगार, हे कुमार ! मेरी स्वामिनी को यह तोती अति वल्लभ व प्रेम पात्र है / सुनने लायक उसका कौतुकमय वृतान्त मैं तुम्हें सुनाती हूँ / ::: : : : ___ तोती का जन्म पूर्व में करकोट द्वीप में हुआ था। समुद्र में यात्रा करने वाले एक वरिणक: ने राजा प्रतासिंह को रत्नपुर में यह भेंट भेजी। वह अपूर्व प्रिय सुभाषित और कथाओं से मनोरंजन करती थी। , ____ यहां कुशस्थल में सूर्यवती देवी को पुत्र रत्न के वियोग में जो दुःख हुआ था वह तो तुमने सुना ही होगा। .. वह हकीकत दूत द्वारा भेजे संदेश से राजा ने जानी व प्रति दुःख को प्राप्त हुए / 17 . "हा!......हा ! ... देव ने यह क्या किया? वह मुग्धा राणी * किस प्रकार रह सकेगी ?" बाद में मंत्रिों के साथ मन्त्रणा. करके, दुःख "को भुलाने के लिए मानुषी भाषा बोलतो इस तोती को जो श्री जिनेश्वर देव द्वारा फरमाये श्लोक, उपदेश और वैराग्य को जानने वाली है, जिनभक्ता रानी के सुख के लिए यहां भेज दी। / / - जब से यह तोती यहां पायी, धर्मशास्त्रीय वार्तालाप व अनेक प्रकार के ध्यान आदि क्रियाओं को करती हुई रानी सूर्यवती अपने दिन . minermanenera namrPANDR. . - - P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust