________________ वह बहुत ही प्रतिभाशाली था। ज्ञान और विज्ञान आदि की बातें एक बार सुने या देखे तो तुरन्त उसकी समझ में आ जाती थीं, जैसे कि पहले से ही पढ़ा हो। : . . . . एक बार रथ में प्रारुढ़ हो कर श्री 'श्रीचन्द' लक्ष्मीदत्त सेठे सहित कौतुक से क्रीड़ा करने के लिए उद्यान में गया। वहां कंकोली, नाग, पुन्नाग, चंपा, गुलाब आदि के रसदार वृक्ष थे। सुन्दर 2 बावड़ियाँ भी थीं। 'श्रीचन्द्र' घूम फिर कर यह सब देख रहे थे / .., ___ इतने में बाजों की मधुर ध्वनि सहित महादान को तो और छत्र, चामर से शोभित, हस्ती पर राणी के समान प्रारूढ़ हुई तोती के साथ, मन्त्री व नगर के श्रेष्ठ लोगों को प्राते हुए देखा। ___ समस्त नगरजन आश्चर्य को प्राप्त हुए। नगर से बाहर पाते हुए देख कर श्री 'श्रीचन्द्र' को भी आश्चर्य हुमा। . उद्यान में आकर हस्ति पर से तोती उतर कर प्रथम जिनेश्वर के मन्दिर में दर्शन करने गई। श्री 'श्रीचन्द मन में विचार करने लगा कि "क्या यह तोती मानुषी है ? या कोई विशेष ज्ञान वाली है ? उसी समय एक स्त्री पालकी में से उतर कर सेवकों को आदेश करने लगी / श्रीचन्द्र ने पिता की आज्ञा लेकर उस स्त्री से मधुर स्वर से पूछा कि, "हे सुन्दरी ! तुम कौन हो? तोती पक्षी होने पर भी मानुषी के समान किया करती है तथा श्री जिनेश्वर देव के मूल P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust