________________ * 42 10 पर भेजा है। वह पुण्यशाली पात्मा है, फिर भी तेरे पास रहने से कोई विघ्न उत्पन्न होता। इसलिए मैंने इस प्रकार किया है।" .. "राजा होकर श्री 'श्रीचन्द 24 वर्ष बाद तुझ से भेंट करेगा / देवी ऐसा कह कर तत्काल अन्तर्धान हो गई / तत्क्षण सूर्यवती शोक रहित हुई, विस्मय से अति हर्ष पाकर विचारने. लगी, कि "मैंने तो यह साक्षात शुभ ही देखा / " .... उसने सारा वृतान्त सन्द्री आदि सेखियों से कहा / सखियों ने कहा, "ऐसा ही हो" शोक रहित होकर हर्ष से स्वामिनी के मंगल के लिए गान गाने लगी / / ... श्री 'श्रीचन्द्र' जीवित है / और मिलाप की प्राशा से सूर्यवती सखियों सहित धर्म किया में हार्दिक आदर बहुमान पूर्वक विशेष रुप से तत्पर हो गयी। श्री जिनेश्वर देव की पूजा, श्री पंचपरमेष्ठी मंत्र का ध्यान, आवश्यक किया आदि विशेष उत्साह पूर्वक करने लगी। . कुशस्थल में लक्ष्मीदत्त नाम का एक बणिक श्रेष्ठि रहता था / उसकी लक्ष्मीवती भार्या थी / वह बेष्ठिों में श्रेष्ठ माना जाता था वह धनवान और धर्मात्मा माना जाता था परन्तु पुत्र हीन था। , श्रेष्ठी ने मध्य रात्रि के समय शुभ स्वप्न में गोत्र देवी को देखा * संस्कृत परित्र में 12 वर्ष पश्चात मिलाप लिखा हुआ है। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust