________________ माघमिक जनों की भक्ति होने लगी थी। याचकों को दान दिया जाने लगा / महोत्सव से चारों तरफ प्रानन्द छा गया था I E ET / लक्ष्मीदत्त ने पुत्र का नाम श्री श्रीचन्द' ही रखा / राजपुत्र पाय माता द्वारा पलते हुए वृद्धि पाने लगा। TASTE से पहले पुण्य से श्रेष्ठी लक्षाधिपति था परन्तु बाद में वह वृद्धि पाकर क्रोडाधिपति बन गया / पुण्य के प्रभाव से धन, धान्य, मणि, स्वर्ण मादि से गृह परिपूर्ण हो गया: SITE TIERE भष्ठी ने छठे दिन जागरणोत्सव हर्ष से मनाया कुलाचार भी आनन्द एवं विस्तार से मनाये / Fir IP fhig प्रतापसिंह राजा का पुत्र नाना प्रकार की क्रीड़ा को करते 2 धीरे 2 पैरों से चलने लगी sms नि भी-'श्रीचन्द्र"को बन्धु स्वजन मित्र आदि बड़े प्रेम से लेते थे / 'श्रीचन्द्र एक को गोद में से दूसरे की गोद में जाता था। सब कोई उसे दीर्घ समय पर्यत अपने ही पास रखना चाहते थे / वह सबके पास चला जाता था जिससे सबको आनन्द दिलाने वाली वनाहिस्त चक्र में कमल के समान वह सबकी प्रियं लगता था |PS FIFPTP FIR { YESोस्त के लिए श्री "श्रीचन्द कभी हठं नहीं करता था। और किसी समय भी वह क्रुद्ध नहीं होता था। क्रम से वह पाच वर्ष का हुआ। बालक होने पर भी पराक्रम में विशालथा: 2 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust