________________ * 35 10 एक सखी बोली कि, "पेटी आदि में इसे छुपा देवें तो वह कैसे जान सकेगा ?" दूसरी ने कहा कि "यह ठीक नहीं, वह बल प्रयोग करने लगेगा तो हम उसे कैसे रोक सकेंगी? क्रूर दृष्टि वाले शत्रु से कुमार को कौन बचा सकेंगी? तीसरी ने कहा कि, "हे सैन्द्री तू! अपने बुद्धि बल से रक्षा का कोई उपाय ढूढ निकाल ! बुद्धि से वह कार्य हो सकता है जो बल से भी शक्य नहीं, विपुल धन से भी जो कार्य नहीं हो सकता वह कार्य . बुद्धि से हो जाता है " तब रानी सूर्यवती ने कहा कि, “मैंने पूर्वभव में पुण्यानुबन्धी पुन्य किया होगा, जिससे ऐसा सुन्दर पुत्र रत्न जन्मा है / इसलिए इसके रक्षणार्थ उपाय करना चाहिये / इसलिए हे बुद्धिमतो सैन्द्री ! इस . समय तू अपनी चतुराई का उपयोग कर / " विचार पूर्वक सैन्द्री ने कहा कि, "मैं निर्वृद्धि होने पर भी कुमार को महल के बाहर किसी अच्छे स्थान पर रखने का उपाय करना चाहती हूं, परन्तु वह भी बहुत दुष्कर है क्योंकि द्वार पर खड़े सैनिक = बाहर जाने वाले से पूछताछ करेंगे। - - . रानी कहने लगी कि "महा संकट में से निकलने का फि कौनसा : उपाय करें ?" सैन्द्री बोली कि, "मेरी अल्प बुद्धि में एक उपाय नजर आता है। प्रतिदिन शाम को मालन अपने गृह उद्यान से ताजे P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust