________________ * 32 1. हुए प्रति वेग से मल्ल का मस्तक शीघ्न ही काट डाला। ... उसी समय प्रतापसिंह राजा की जय 2 कार होने लगी / महामल्ल अपनी जान बचाने के लिए सेना के साथ रत्नपुर में घुस गया / मल्ल के कणकोट्टपुर प्रादि नगरों पर अधिकार करके, राजा प्रतापसिंह ने महामल्ल के रत्नपुर सिवाय सारे देश को जीत कर, रत्नपुर पर घेरा डाल दिया : और उसे जीतने की प्रतिज्ञा कर वह वहां सुख पूर्वक रहने लगा। .इधर पट्टरानी सूर्यवती प्रतापसिंह राजा के प्रयाण से उत्पन्न हुए दुःख को भूल कर, श्री जिनेश्वर देव द्वारा कथित धर्म की आराधना में तत्पर थी। एक दिन हथियारों से सज्जित सैनिकों को प्राये हुए देख कर उसने अपनी सखी सैन्द्री को कहा कि, "ये सैनिक यहां किस लिए आये हैं ?" सैन्द्री ने सैनिकों से पूछा कि, "तुम कौन हो?" सैनिकं बोले कि, "राजा प्रतापसिंह ने हमें रत्नपुर से रानी के गर्भ के रक्षाणार्थ भेजा है, इसलिए हमसे भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है।" परन्तु सैन्द्री ने उन्हें मृषावादी जान कर रानी के पास आकर कहा कि "मुझे तो ये जय के सैनिक प्रतीत होते हैं, परन्तु वे अपने माप को राजा प्रतापसिंह के कह कर झूठ बोल रहे हैं ! ..जय ने, मभं रक्षण के बहाने से इन्हें दुष्ट विचार से यहां नियुक्त किया प्रतीत होता है।" ऐसी दुखदु परिस्थिति देख कर निश्वास लेते हुये सूर्यवती ने कहा कि, "प्यारी सैन्द्री ! अब हम क्या करगी ? : सैन्द्री ने कहा कि, "हे सूर्यवतीदेवी !- क्योतिषी के वचनों को P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust