________________ 30 - रानी सूर्यवती ने कहा "मैं भी आपके साथ चलूगी / " प्रतापसिंह ने कहा कि "प्रोढ गर्भ के कारण वहां चलना ठीक नहीं / " सूर्यवती ने गद्गद् कंठ और ज्योतिषी का भावि कथन कह कर कहा, "मैं यहां नहीं रहूंगी" प्रतापसिंह ने कुछ क्षण सोच कर कहा कि 'हे प्राण प्रिये! तूदुःखी मत हो, सब शुभ ही होगा। जय आदि चारों कुमारों को मैं अपने साथ लेता जाऊंगा। तू निर्भय हो कर यहां सुख से रहो जैसे गुफा में सिंह रहता है।" दूसरी तरफ परस्पर सलाह करके बड़े भाई जयकुमार को महल में ही रख कर तीनों राजकुमार राजा प्रतापसिंह के पास पहुँचे / उन तीन कुमारों को देख कर प्रतापसिंह ने पूछा कि "जयकुमार कहां है ?" कुमारों ने कहा कि, "जयकुमार का शरीर ठीक नहीं है / " यह सुन / कर प्रतापसिंह ने जयकुमार को बुलवाने के लिए फिर सैनिकों को भेजा। दूसरी बार बुलाये जाने पर भी जयकुमार नहीं आया / .. उत्साह में राजा ने शीघ्र प्रयाण कर दिया और जयकुमार के व पाने की बात जल्दी के कारण राजा प्रतापसिंह को ध्यान में नहीं रही / "चाहे जितना भी पुरुषार्थ करें भवितव्यता को कोई टाल नहीं सकता।" कहा है कि, "चाहे सूर्य पश्चिम में उदय हो जावे, चाहे मेरु पर्वत चलायमान हो जाय, चाहे पवंत के अग्र भाग में कमल उग जाय अथवा अग्नि शीतलता धारण करले, तो भी निकाचित कम की रेखा बदल नहीं सकती।" P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust