________________ * 28* बद्भुत धर्म परायण होगा तथा (4) सकल पृथ्वी पर एक छत्री को भोगेगा। .... . इन स्वप्नों के भाव बड़ी कठिनता से समझ में आते हैं : ये स्वप्न अति शुभ हैं / " प्रतापसिंह राजा ने उनका उचित त करके स्वप्नों के फल सूर्यवती रानी को कह सुनाये / ... जिस प्रकार रोहणगिरि में रत्न वृद्धि को पाते हैं उसी प्र 1. सूर्यवती की कुक्षि में गर्भ वृद्धि पाने लगा। बहुत दिनों बाद सूर्य को "चन्द्र" का पान करने का दोहद उत्पन्न हुआ। परन्तु वह दोहद पूर्ण न होने से रानी धीरे 2 कमजोर लगी। प्रतापसिंह ने पूछा कि "क्या कारण है. ?" सूर्यवती ने की सर्व हकीकत कही। ...... . इससे चिन्तातुर राजा ने मन्त्री से कहा कि “ऐसा उपाय .... जिस से रानी का दोहद पूर्ण हो / ' ....... मन्त्रियों ने तुरन्त की ब्याही हुई गाय के दूध में शक्कर कर पानी के साथ उबाल कर चांदी के थाल को पूर्ण भर क* झोपड़ी में रख दिया, बाद में छत में छेद कर दिया उसमें च 2. प्रतिबिंब जव पड़ने लगा तब सूर्यवती रानी को एकान्त में चन्द्र - 1) करने की प्रार्थना की। रानी धीरे 2 उसका पान करने लगी / = पर पहले से एक सेवक को मंठा रखा था। यह छेद को धीरे 2 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust