________________ * 27 * उसी स्थान पर आ गया / (2) किसी ने सूर्यवती को विकसित कमल दिया, पहले तो वह मुरझा गया परन्तु देवी के हाथ से वापिस खिल उठा। (3) अमृत समान उज्जवल मंदिर बारिश के कारण काला पड़ गया। सूर्यवती सोचने लगी कि फिर यह काला न हो जावे इसलिए उसको रत्नो से उज्जवल बना दिया / (4) किसी के द्वारा बन्द छत्र सूर्यवती के मस्तक पर रखा गया वह अपने आप खुल गया / . रानी सूर्यवती हर्ष से जागृत हो कर श्री नमरकार महामन्त्र का ध्यान कर प्रतापसिंह राजा के पास गई और अपने स्वप्न राजा को कह सुनाये / गजा ने हर्षित होकर अलग 2 विचार कर कहा कि "तुमने बहुत ही शुभ स्वप्न देखे हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि तुम भाग्यशाली पुत्र को जन्म दोगी।" सूर्यवती ने हर्ष पूर्वक कहा कि "जैसा अापने कहा है उसी प्रकार ही हो / " . . _ "अाज अपना धर्म रुपी कल्पवृक्ष फलीभूत हुआ है।" - प्रातःकाल प्रतापसिंह राजा राजसभा में पधारे। तत्पश्चात मन्त्रिों को स्वप्न पाठकों और ज्योतिषिओं को बुलाने का आदेश दिया। उनके आते ही उन्हें फलों पुष्पों आदि से सन्मानित कर, रानी के देखे हुए स्वप्नों को कह कर, उनका फल पूछा / ... - उन्होंने आपस में विचार करके कंहा कि “महारानी सूर्यवती - एक पुत्र को जन्म देगी (1) वह पूर्ण चन्द्र के समान कलावान् होगा (2) वह लक्ष्मी के निवास रुप कमल के समान होगा (3) P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust