________________ * 26 10 की आवश्यकता नहीं, क्योंकि वह सर्वज्ञ तो है नहीं जो सदैव सत्य ही। बोलता हो। फिर भी मैं उपाय कर लूगा। यदि सूर्यवती के पुष होगा तो मैं किसी को ज्ञात होने से पूर्व ही उसे समाप्त कर दूंगा।" सौभाग्यवश सूर्यवती की सखी सैन्द्री आम्रकल भक्षणार्थ वहाँ मायी हुई थी। वहां ही सीड़ियों में छुप गई / धरण की भविष्य वाणी और राजकुमारों के उपाय को सुन कर वह वहां से तत्काल भाग निकली और रानी सूर्यवती के पास पहुंच कर उसे सारी हकीकत कह सुनाई। - यह सुन कर हर्ष और शोक से युक्त सूर्यवती रानी की उस समय वैसी ही दशा थी जैसी जम्बूद्वीप में सुमेरु पर्वत के एक तरफ दिन और दूसरी तरफ रात्रि होने से होती है। ___वह कहने लगी कि "अब क्या होगा? क्या हम प्रतापसिंह राजा को यह बात बतायें ? परन्तु अभी ऐसे विकल्पों का क्या अर्थ है ? भावि जो होना होगा वैसा हो जायगा।" विविध तपश्चर्या का प्राचरण करती हुई सूर्यवती रानी ने एकदा मध्य रात्रि में चार शुभ स्वप्नों का स्पष्ट दर्शन किया। (1) आकाश के मध्य में से पूर्णिमा का चन्द्र खिसक कर वापस P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust