________________ + 25 * राजकुमारों का यह प्रतिकूल वर्ताव देख कर धरण कहने लगा कि "अभी तो मेरा मन अशान्त है। प्रत: पीछे कभी अच्छी तरह देख कर बतलाऊंगा। अब मैं जाता हूँ।" फल को ग्रहण कर व धन को छोड़ कर धरण वहां से शीघ्र ही रवाना हो गया। कम . से वह शत्रुजय तीर्थ पर पहुँच गया और मुनिश्री के आदेशानुसार विधि पूर्वक धर्माराधन करने लगा। - इधर चारों राजकुमार विचार सागर में डूब गये। अति. चिन्तातुर होकर परस्पर विचार करने लगे कि “क्या उसकी कही हुई बात सत्य सिद्ध होगी ? परन्तु सरस्वती की वाणी भी तो किसी समय असत्य हो जाती है। .... इतर. "जिस प्रकार. पूर्व में एक ज्योतिषी द्वारा यह बतलाये जाने पर कि तुम्हारे पुत्र से कुल का नाश होगा, बुद्धिमान मन्त्री ने अपनी चतुराई से कुल का रक्षण कर लिया था / व्यन्तर देव द्वारा राजकुमारी की चोटी काट लेने से जो कष्ट उत्पन्न होने वाला था वह भी उसके बुद्धि बल से टल गया था अतः हम भी उसी प्रकार कोई कार्य करेंगे / इ क ' : .. "जैसे मन्त्री पुत्र रोहणीया को देवी ने संकट में डाला था परन्तु उसे भोयरे में डाल देने से संकट जाता रहा था / वैसे हमें भी कोई उस भाषा:: MEROFERESTF उपाय सोच लेना चाहिये / " 5 7 ... ..वृद्ध शुक समान बुद्धि वाला जय कुमार बोला, "चिन्ता करने P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust