________________ * 12010 उतरा / उस समय प्रतापसिंह राजा कोड़ा के लिये वन में गये हुये थे / कर्कोट द्वीप से हाथी, अश्व आये हैं ऐसा सुनकर सब वहां आये और पूंछने लगे यहां कैसे पाये हो ? कनकसेन ने कहा हम कर्कोट द्वीप से आये हैं और कुशंस्थल प्रतापसिंह राजा ने पास जा रहे हैं / ये नव पत्नियें श्रीचन्द्रं राजा की हैं ये सब करमोचन के समय सारी चीजें मामा ने उन्हें दी थीं / वे अकेले पाये थे, कन्यानों से ब्याह कर, स्वनाम स्पष्ट प्रक्षरों में लिख कर किसी दूसरी जगह चले गये हैं / पिताश्री के आदेश से कन्याओं का भाई मैं सारी समृद्धि सहित उन्हें छोड़ने पाया हूं, वे स्वामी कहां हैं ? राजा ने आनंदित होते हुये कहा कि प्रतापसिंह राजा के पुत्र श्रीचन्द्र यहीं हैं वे ही इस नगर के राजा हैं / कनकसेन ने आनंदित होते हुये यह ही प्रतापसिह राजा हैं उनके चरणों में नमस्कार करके कहा है पूज्य / अपने पुत्र का उपार्जित पाप स्वीकारें / बन्यामों तथा समृद्धि देखकर और चरित्र सुनकर राजा तो बहुत ही माश्चर्य को प्राप्त हुआ। ... .. ___ राज वहीं सिंहासन पर बैठकर पुत्र को परिवार सहित बुलवाते हैं / सामंतों और गुणचन्द्र मंत्रियों सहित श्रीचन्द्र हंस की तरह माये / अर्ध उठे हुये पिता को नमस्कार करके उसके पास बैठे / सूर्यवती पठरानी भी वधुनों सहित आयीं कनकसेन ने श्रीचन्द्र को नमस्कार किया। नव बहुओं अद्भुत पति को देखकर बहुत ही हर्षित हुयीं / रुप और कान्ति युक्त उन्होंने सास और ससुर को नमस्कार किया। उनके भाई कनकसेन ने यथातथ्य कहकर हाथी, घोड़े सैनिक मादि दिये। P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust