________________ र ये तोता तोती हैं, मेरी मार्फत वीणापुर में पद्मश्री सखी को भेजे हैं, तारालोचना ने कहलाया है कि तेरे स्वयंवर पर अनेक राजा पायेंगे, तो उस समय मैं जरूर पाऊंगी। वीणापुर में स्वयंवर के लिये मंडप तैयार हो रहा है, उसे देखने राजा मित्र सहित वीणापुर गये / वहां राजा, मंत्रा, सामन्त प्रादि अनेक प्रकार के लोग आये थे। ...... __उन सबको प्राश्चयं युक्त करते हुए श्रीचन्द्र राजा मंडप में पाए। हार भाट ने उन्हें देखकर कहा 'पात्र में दिया हुआ दान पुण्य को उपाजन करवाता है। गरीव को दिया हुअा दान दया को दर्शाता है, मित्र को दिया हुआ दान प्रीति की वृद्धि करता है शत्र को दिया हुमा दान बैर का नाश करता है, भाट को दिया हुअा दान यश की प्राप्ति करवाता है, राजा को दिया हुआ दान सन्मान दिलाता है और सेवक को दिया हुआ दान भक्ति उत्पन्न करता है / तो हे श्रीचन्द्र राजा ! आपका दिया हुआ दान किसी भी स्थान पर फल बिना का नहीं होता। .... : परनारी सहोदर, दूसरों के दुख देखने में कायर, दूसरों के उपकार के लिये तत्पर, अर्थी के लिये कल्पतरू जैसे श्रीचन्द्रः हैं / इत्यादि भाट ने कहा इतने में राजा ने कहा तुम्हारी इच्छा फले ऐसा कह कर भाट को उचित दान दिया / श्रीचन्द्र राजा ने अपने मित्र से कहा कि यहां रहने पर हम लोग पहचाने जायेंगे। ऐसा कहकर श्रीचन्द्र राजा रात्रि में ही उत्तर दिशा की तरफ प्रस्थान कर गये।। ... ..' वहां किसी यक्ष के मन्दिर में आकर सो गये, प्रातःकाल जागने . पर गत्रि में जो स्वप्न आया था वह मित्र को बताने लगे कि मेरु गिरीपर. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust