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________________ * 72 .. मित्र और भील सहित राजा श्रीगिरि पर गुफा, वन, शिखर आदि हर्ष से देखने लगे। बाद में ऐसे तालाब में जहां निर्मल जल में कमल खिले हुये थे उसमें श्रम को दूर करने के लिये स्नान किया उतने में भील सदाफल देने वाले उद्यान में से अमृत जैसी पकी हुई अधपकी द्राक्ष, पके हुए अाम्रफल, रायण, केले, खजूर, जामुन, जंबीर, अमृत जैसे बीजोरे, नारंगी, दाड़म, आमली, (इमली), पीलू, फणस, गुन्दे, बोर, खरबूजे, पकी हुई इमली, कितने ही प्रकार के पानी, श्रीफल का पाणी, नागरबेल का पान, इलायची, लविंग, भवली के फल श्रादि उनके खाने के लिये ले प्राया। ___ कमल के समूह, खिले हुए चंपक, केतकी, मालती, मल्लिका, कुन्द, फूल प्रादि सब वस्तुएं उपभोग के लिये ले आया। उन सबको राजा ने सफल किया / श्रीगिरी के चारों तरफ सुन्दरता को देखकर राजा सोचने लगा कि देवी के आदेश से समय आने पर सुन्दर नगर स्थापन होगा और उस नगर के मध्य के शिखर पर विधि पूर्वक श्री अरिहन्त परमात्मा का मन्दिर बनवाऊंगा। कुछ समय वहां ठहर कर भील को उचित उपदेश देकर अश्वों पर बैठ कर प्रयाण किया / ताप से व्याकुल होने के कारण वह सरोवर की पाल पर रुके / वहां एक प्रवासी आया उसके हाथ में पोपट और पोपटी का पिंजरा था, शास्त्र युक्ति से उनको बुलाकर बहुत हर्षित हुये। . ... . राजा ने पूछा 'इन्हें कहां से प्राप्त किया है ? क्या इन्हें बेचना है ? वह बोला 'नंदीपुर नगर के हरिषेण राजा की पुत्री तारालोचना P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036499
Book TitleVardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddharshi Gani
PublisherVishva Shanti Prakashan
Publication Year
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size136 MB
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