________________ * 14 10 रख कर वह दूसरे कार्य के लिए चली गई / जब ससुरे को याद आयी तब वह पूछने लगा कि, क्या किसी को मेरी अंगूठी मिली है ? वार 2 पूछने पर भी अंगूठी का पता नहीं लगा। - इतने में श्री देवी ने पशुओं के बाढ़े में से अंगूठी लाकर ससुरे को दे दी / इससे ससुरा खुश तो हुआ परन्तु सासू ने श्री देवी को देते देख कर कहा कि, 'मैं जानती हूँ कि बहू चोर है / इस प्रकार यह चोर बहू सर्व वस्तुओं को चुराने लगेगी, तो मेरा घर किस प्रकार चलेगा? हे लोगों ! मेरे घर का आचरण देखो ! जहाँ ऐसी बहू हो वहाँ मेरा वचन कौन सुने ? सब के घरों में बहुएं होगी परन्तु ऐसी नहीं होगी। बहु ने अंगूठी चुराली।" इस प्रकार जोर 2 से नाटक रचने लगी कि / हे पुत्र ! सूकुल . में उत्पन्न हुई तेरी स्त्री घर में आनन्द करती है। मां के चिढ़ाने से धरण को प्रावेश आ गया, और बिना विचारे एकदम उस सती के मस्तक पर लकड़ी से प्रहार किया / श्री देवी का मस्तक फट गया भौर वह मूच्छित होकर गिर पड़ी उस समय श्री देवी नमस्कार महामंत्र का स्मरण कर रही थी। मस्तक में से रक्त की धारा छूट पड़ी। घरण हाहाकार करने लगा / मस्तक पर औषधी लगाई। किसी ने श्री देवी के माता पिता को ये समाचार दे दिये / वे विलाप करते हुए वहां आये। माता श्री देवी को गोद में लेकर कल्पान्त करने लगी कि / हे पुत्री | यह क्या हुआ ? मेरे मुख P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust