________________ * 13 10 निकलते ही रहते थे ! झूठा कलंक, निन्दा, चुगली उसका नित्य प्रति का स्वभाव था / बिचारी श्री देवी तो प्रातः जल्दी उठती, घर की सफाई करती, पानी भरती, अनाज दलती, भोजन बनाती, तथा सासु ननन्द, देवर की सेवा करने में कोई कसर बाकी न रखती / वह कष्ट पूर्वक जीवन व्यतीत करती परन्तु श्री जिनेश्वर देव की भक्ति में सर्वदा उद्यमशील बनी रहती थी। श्री देवी के माता पिता पड़ौसी आदि जब कभी उससे पूछते कि क्या तुझे पति के घर सुख है ? तब वह अपने घर की हमेशा प्रशंसा ही किया करती परन्तु कभी दुसरी कोई घर की बात नहीं करती थी। समय बीतता गया / नागीला का स्वभाव दिन प्रतिदिन क्रूर बन रहा था, उसके घर में यदि कोई भी तोड़ फोड़ होती, या कोई चीज खो जाती तो वह अपने पुत्र को कहती कि यह श्री देवी का काम है / भूठी बातें कह कह कर उसके कान भरती रहती जिससे क्रोधित होकर धरण श्री देवी को मारने लगता / श्री देवी धर्मात्मा घराने में जन्मी थी। धर्म के संस्कारों के कारण वह अपने पूर्व के कर्मों को दोष देती परन्तु सासू के लिए अपने मन में कोई बुरा विचार नहीं लाती थी। वह यही मानती थी कि यह अपने किये हुए कर्मों का फल है। ___ इस प्रकार कुछ दिनों के पश्चात् एक दिन उसके ससुर की अंगूठी घर में कहीं पड़ गई, परन्तु उसे ध्यान नहीं रहा / प्रभात में कचरा इकट्ठा करते हुए श्री देवी को अंगूठी मिली / एक स्थान पर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust