________________ ते 12 10 लोग एकत्रित हुए हैं / " कुमारों ने सेवक को श्राज्ञा दी कि उस ज्योतिषी को हमारे पास बुला लायो / आशीर्वाद देने में तत्पर उस ज्योतिषी को कुमारों ने उचित सन्मान देकर योग्य आसन पर बिठाया / . कुमारों ने पूछा कि 'आप कहां से पधारे हैं ? और कहां जाने का विचार है ? आप क्या जानते हैं ?" ज्योतिषी ने कहा कि 'हे राजपुत्रों मेरी एक लम्बी कहानी है जो कि मैं तुम्हें सुनाता हूँ / इस नगर से पश्चिम दिशा में पृथ्वी की शोभा रूप, धर्म लक्ष्मी से मनोहर ऐसा सिंहपुर एक नगर है / वहां लक्ष्मी से परिपूर्ण श्रीधर ज्योतिषी रहते थे। उनके नागिला नाम की प्रिय भार्या थी उसके धरण नाम का एक पुत्र हुआ जो अनुक्रम से बड़ा हुआ। उसी नगरी में भियंकर नाम के एक दूसरे विख्यात ज्योतिपी भी थे ! उनकी शीलवती नाम की स्त्री तथा श्री देवी नाम की पुत्री थी / जब श्री देवी तरुणवय को प्राप्त हुई तो वह रूप लावण्य से सुशोभित, कला कौशल में प्रवीण और / जैन धर्म में अति अनुरक्ता हो गयी / श्रीधर ने उस श्री देवी की धरण के लिए मांगनी की / महोत्सव पूर्वक दोनों का लग्न हो गया / श्री देवी अत्यन्त विशुद्ध स्वभाव वाली, बड़ी लज्जाशील और अहंत धर्म की क्रियाओं में तत्पर रहती थी। वह हित, मित, प्रिय और सत्य वचन बोलती थी परन्तु उसको सासु नागीला निष्ठुर स्वभाव वाली थी। श्री देवी दिन रात घर का काम करती परन्तु सासु तो झूठा ठपका ही दिया करती थी। जिस प्रकार पानी के रेट चलने पर लट्टे की लकड़ी से खटपट की आवाज रहती है . उसी प्रकार नागीला के मुह से हमेशा कलह क्लेश भरे शब्द P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust