________________ 11 110 किया। तत्पश्चात राजा प्रतापसिंह और दीपचन्द दीपशिखा नगरी में वापिस आये। कुछ समय वहां ठहरने के पश्चात् प्रतापसिंह सूर्यवती पटरानी सहित कुशस्थल की ओर प्रस्थान के लिए उद्यत हुए / वहां से विदा लेते समय राजा रानी तथा समस्त नगरजनों के नयनों में से अश्रु झरने लगे। महारानी प्रदीपवती ने सूर्यवती को कुलांगना के योग्य हित शिक्षा दी। प्रयाण करते 2 प्रतापसिंह राजा अपनी नगरी के समीप पा पहुँचे / शुभ मुहूर्त में सजी हुई कुशस्थल नगरी में महोत्सव पूर्वक उन्होंने प्रवेश किया / पूर्व पुण्य के प्रभाव से वे विविध प्रकार के सांसारिक सुखों का उपभोग करने लगे / कहा है कि, 'उत्तम कुल में जन्म, शरीर का निरोगीपन, सौभाग्य, पूर्ण आयु, निर्मल यश, विद्या और धन सम्पदा धर्म से ही प्राप्त होते हैं। धर्म सव संकटों में रक्षण करता है / शुद्ध मन से किया हुआ धर्म स्वर्ग और मोक्ष को देता है।" एक दिन प्रतापसिंह राजा के पुत्र जय, विजय, अपराजय और जयंतक जब महल के झरोखे में खेल रहे थे तो उस समय राज मार्ग में बहुत से लोगों को इकट्ठे होकर जाते हुए देखकर उन्होंने सेवक को पूछा कि ये लोग एकत्रित होकर कहां जा रहे हैं ? उसने कहा कि "एक विख्यात ज्योतिषी परदेश से आया है इसलिए ये P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust