________________ हुई औषधी के कारण सब जगह विजयी हुआ / एक समय एक वनिक को सौनी, मोहर दी और उसके यहां भोजन करके बाकी पैसे लिये बिना रवाना हो गए। हमेशा 5-7 मनुष्यों के साथ ही भोजन किया करते थे। अकेले कभी भोजन नहीं करते, जंगल में भूले भटके मुसाफिरों को धन की मदद देते थे / एक पार श्री 'श्रीचन्द्र'। वृक्ष पर बैठे हुए होते हैं, उसी समय चन्द्रमा के प्रकाश में एक मनुष्य की छाया 'दिखाई देती है परन्तु मनुष्य कोई नजर नहीं आता। श्री 'श्रीचन्द्र' ने सोचा कि यह जो पुरुष है वह पंजन गोली से सिद्ध हुप्रा लगता है और वह किसी भारी वस्तु को ले जाता हुक्म नजर आ रहा है, यह कौन है ? : उसे देखने की इच्छा से बुद्धिशाली 'श्रीचन्द्र' वृक्ष से नीचे उतर कर उस छाया के पीछे 2 चलने लगे / आगे जाकर बहुत वृक्षों का छाया में वह छाया अदृश्य हो गई / 'श्रीचन्द्र' वहां कुछ क्षण रुके पौर। सूर्य के. उदय होने पर अपनी तीक्ष्ण बुद्धि से उस छायावाले मनुष्य के पद चिन्ह खोज निकाले। उन पद चिन्हों के अनुसार चलने पर एक बहुत बड़े विशाल पर्वत में एक ऊंची शिला को देखा। उसके बीच के भाग में प्रवेश करते हुए और बाहर निकलते हुए मनुष्य के पद चिन्ह देखे / बाद मैं नजदीक में जो जल कुण्ड था उसकी खोखल में फल पोर जल से तृप्त होकर गुफा की मोर एक टक देखते ही रहे। . तीसरे पहर में गुफा प्रके मध्य भाग में से शिला को उठा कर एक पुरुष बाहर आया वह बादली रंग के वस्त्रों से सुशोभित, शस्त्र से F- 71. 51. RT 1 P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust