________________ समीप पहुँच गये और नदी के किनारे पर पड़ाव डाल दिया / उस समय शूर की सेना आदि की संख्या के बारे में समाचार गुप्तचरों द्वारा प्रतापसिंह ने प्राप्त किये और तुरन्त ही परस्पर मन्त्रणा करके सेना को युद्ध के लिए तैयार हो जाने का आदेश दिया। उधर भीलों ने यूर को समाचार दिया कि कुशस्थल का राजा प्रतापसिंह विशाल सैन्य से सुसज्जित होकर पाया है। शूर ने तुरन्त ही वृद्धजनों से सलाह की / उन्होंने कहा कि "हे देव ! प्रतापसिंह राजा बहुत बलवान है। अतः अपने लिए भाग जाना ही श्रेयस्कर है " शूर बोला कि हम भागकर भी कहां जावेंगे ? प्रतापसिंह यमराज के समान कर है / उसके पंजे से छूट जाना भी तो कठिन है।" यह सुनकर वृद्ध पुरुप -मौन हो गये / तब शूर ने कुछ विशेप विचार कर अपने उत्तम गंध हाथी के उपर आरूढ़ होकर भीलसेना सहित रणक्षेत्र में पदापर्ण किया। प्रतापसिंह राजा भी सेना सहित तैयार ही थे / परन्तु उन्होंने अपनी सेना पर दृष्टि डालने पर अपने सब हाथियों को मद रहित तथा ऊंघते हुए देखकर राजा दीपचन्द से पूछा कि "ये हाथी इस दगा को कैसे प्राप्त हो गये हैं / ?'' दीपचन्द ने कहा कि 'शूर के गंध हस्ती की गंध से अपने हाथी मद रहित हो गये हैं।" 1. राजा प्रतापसिंह विचार करने लगे कि अब हमें क्या करना चाहिये ?' इतने में रथभ्रमण विद्या वाले कलाकार ने प्राकर विनंती की ___कि 'हे राजन् ! आप श्री इस रथ में प्रारूढ़ होकर मेरी कला का निरी क्षण करें।" प्रतापसिंह राजा धनुष और वारणों से सज्ज होकर रथा_रूढ़ हुए / रथ रण क्षेत्र के स्थल पर पहुंचा / शूर गंध हरती पर बैटकर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust