________________ संदेश दिया। राजा दीपचन्द उसे प्रतापसिंह नरेश के समक्ष रख कर बोला कि "हे देव ! वासंतिका नाम की भयङ्कर अटवी में शूर नाम का एक पल्लिपति रहता है / वह सर्व राजाओं के लिए दुर्जय है / उस पल्ली के पश्चिम में सिंहपुर नगर है वहां के राजा शुभगांग के महल में से राणी चन्द्रावती का एकावली हार चोरी हो गया / कोतवाल ने चोरों को पकड़ कर राजा के समक्ष उपस्थित किया / दण्ड प्रहार होने पर उन्होंने अपराध स्वीकार कर लिया और बोले कि, "हम शूरपल्लीपति के भील हैं / शूर की आज्ञा से चोरी करने आये थे।' उन से एकावली हार लेकर क्रोधित होकर गजा शुभगांग ने कोतवाल को आज्ञा की कि इन चोरों को शूली पर चढ़ादो / जब शूर ने ये समाचार सुने तो उसने रोप से भीलों की विशाल सेना के साथ सिंहपुर नगर को घेर लिया है। इस परिस्थिति में क्या करना उचित है ? यह निर्णय आप श्री ही कर सकते हैं / शूर के भय से वहां के व्यापारी व्यापार नहीं कर सकते हैं। शूर ने आस पास के सारे मार्गों को घेर लिया है / जिससे कोई व्यक्ति कष्ट उटाकर भी वहां जा नहीं सकता है।" हस्ती की चिंघाड़ को सुनकर जिस प्रकार केसरी सिंह गर्ज उटता है उसी प्रकार शूर के बारे में यह संदेश सुनकर प्रतापसिंह राजा गण उठे / उन्होंने तुरन्त ही प्रयाण भेरी बजवादी / भेरी के नाद से चतुरंग सेना सज्ज हो गई / शूर को दण्ड देने के लिए प्रतापसिंह राजा ने एकदम प्रयाण कर दिया। कुछ ही दिनों में वे सिंहपुरी नगरी के P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust