________________ समझाया तब कहीं वह तयार हए। तुम्हारे हदे किस प्रकार विवाह करेंगे / श्रेष्ठी पत्री ने भोज पर पर लोकलित कर उस पर पुष्प माला लपेट कर झरोखे में खड़ी हो गयी। जब हागे नीचे पाया तब श्रीचन्द्र के उपर वह माला डालो। एप माला को शानी देख श्रीचन्द्र ने उपर दृष्टि कर अनुरान्सिी कन्या को देखा। भोजपत्र खोल कर पढ़ा कि "जिस कमलिनी ने चन्द्र को देखा नहीं उसका जन्म निरर्थक है, और जो चन्न अपनी किरणों से कमालनी को विकसित नहीं करता, उस च की उत्पति भी निरर्थक है।" वह भोज पत्र श्रीचन्द्र ने चन्द्रकला को मार दिया। इधर उधर देखते 2, स्थान 2 प. दान देते श्रीचन्द्र व चन्द्रकला अपने महल में वापिस लौटे। राजा ने नगरजनों का सम्मान करके उन्हें भोजन कराके विदा किया। कनकदत अंटी को कन्या ने दासी द्वारा चन्द्र कला से भोजपत्र का उत्तर मगा? पधिनी में कहलाया कि "अभी अवसर नहीं है !" तिलकमंजरी के हस्त ग्रहण के लिए तिलकपुर नगर पधारने की श्रीचन्द्र से धीर मन्त्री ने अति बारह भरी विनंति को / कमल के समान मुख वाले भीचन्द्र ने कहा कि "पाणिग्रहण के सम्बन्ध में मैं कुछ वहीं जानता इन सब बातों का नामोदन श्रेष्ठी ही उतार दे यक। III चाहते थे, परन्तु श्रीचन्द्र नहीं ठहरे। दूसरे ही दिन सबकी अनुमति लेकर हस्तियों के अलावा सर्व वस्तुओं पे युल कुमार को न प्रस्थान किया। कुछ आगे बाने पर श्री श्रीचन्द पद गमा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust