________________ * 971 श्रीचन्द नहीं आएंगे क्योंकि वे हमेशा अपने घर श्री जिनेश्वर देव की पूजा आदि करते हैं / " फिर चन्द्रकला को ले कर सर्व राज महल में गये दीपचन्द्र राजा ने विवाह के लिए शुभ मुहूर्त देखने का आदेश दिया। ज्योतिषी ने अच्छी तरह देख कर कहा कि कल ही शुभन से शोभित, अति शुभ मुहूर्त है। दीपचन्द्र राजा ने कहा कि "शुभगांग राजा किस प्रकार कल तक यहां पहुँच सकेंगे।" ज्योतिषी ने कहा कि "कल बैशाख शुक्ला पंचमी का लग्न अति उत्तम है। बहुत सी रेखाओं से शोभित है ऐसा यह लग्न अवश्य ही साध लेना चाहिये / " दीपचन्द्र राजा ने तत्काल विवाह की सर्व सामग्री तैयार कराई। नगर का श्री 'श्रीचन्द्र' है, इससे वह सूर्यवती का पुत्र ही कहलाएगा। भतः मुझे उसके पास रह कर ही विवाह महोत्सव करना चाहिये / " सात मंजिल के महल में विवाह की सर्व सामग्री तैयार करवा कर प्रदीपवती ने अपने मुकुट, कुडल. हार प्रादि से श्री 'श्रीचन्द्र" को पलंकृत किया / . परन्तुं श्रीचन्द्र देदीप्यमान कान्ति वाले होने से अपने ही प्राभूषणों से शोभित थे। दूसरे दिन अनि श्रेष्ठ लग्न में ज्योतिषी ने विधि को प्रारम्भ किया / कुल: स्त्रियां गीत गा रही थीं। वाजिन्नों के मधुर नाद से दिशाएं गूज उठी थी। चारों तरफ से चतुरपी सेना P.P.AC.Gunratnasuri M.S.