________________ चरित्रम् गत्वावासे जगुस्ते वै / मातृभ्यो निजताडनं // चुक्रुशुश्च तमंत्यंतं / कलाचार्य क्रुधाकुलाः // 33 // अर्थ-वळी ते राजपुत्रो पोताना आवासे जइने पोतानी माताओने आचार्थे ताडन कर्यानुं कहेता हता जेथी क्रोधाकुळ एवी ते माताओ कलाचार्यनो उपर अत्यंत.आक्रोश करती हती. // 33 // a उपेक्षते गुरुर्नित्यं / तानुन्मादवशंवदान् // छुरिका कांचनस्यापि / क्षिप्यते किं निजोदरे // 34 // . : अर्थ-आ प्रमाणे थवाथी उन्मादने वश थयेला ते राजपुत्रोनी गुरु निरंतर उपेक्षाज करता हता; कारण के सोनानी छरो पण कई पोताना पेंटमां मराती नथीं. // 34 // कलाचार्य जगौ माता / सुमित्रस्य कृते भृशं // स्वपुत्रवत्त्वयाध्येयो / यथा वेत्त्यखिलाः कलाः // 35 // ___ अर्थ-सुमित्रनी माता कलाचार्यने सुमित्रने माटे आग्रहपूर्वक कहेती हती के-तमारे पोताना पुत्रनी जेम सुमित्रने अभ्यास न कराववो के जेथी ते सर्व कळाने सारी रीते जाणी समजी शके. // 35 // स विनीतः कलाभ्यासं / प्रचक्रे गुरुताडितः // जायते हि कलावृध्ध्धै / विनयो मुख्यकारणं // 36 // I अर्थ-गुरु ताइन करे तो पण ते विनीत सहन करीने कलाभ्यास करतो हतो, कारण के गुरुनु ताडन कळानी वृद्धि माटे थाय | छे एम समजतो इतो. एन मुख्य कारण एनामां विनय गुण हतो ते इतुं. // 36 // . ....: ' सूरादयोऽपि. चत्वार-स्तस्यैव गुरुसंनिधौ // पठंतिम प्रयत्नेन / कलाः सर्वाः कुलोचिताः // 37 // lala नबननन Dog BODOD Daagaana DRDERलाननननन // 8 // PP.AC.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust