________________ सुमित्र चरित्रम् रेजे राजकुमारोऽसौ / तैश्चतुर्भिर्वृतः सदा // दानशीलतपोभावै-मूतों धर्म इवापरः // 28 // al अर्थ-ते चार कुमारोनी साथे सदा परवरेलो राजकुमार दान, शील, तप ने भावथी परवरेलो पांचमो साक्षात् धर्मज होय एवो देखातो हतो // 28 // | बाल्ये मित्रैः समं क्रीडन् / सस्नेहौधवोपमैः॥ स यथार्थाभिधश्चके / सुमित्र इति नागरैः // 29 // ____ अर्थ-बाल्यावस्थामा स्नेहवाळा अने बांधवनी उपमावाळा ते मित्रोनी संगाते क्रीडा करता ते राजकुमारनुं लोकोए यथार्थ | | सुमित्र एवं नाम पाडयु. // 29 // B कलार्थमन्यदा माता / कलाचार्यस्य तं ददो / अन्येऽपि नृपजास्तत्र / न्यस्ताः संति पुरैव हि // 30 // __अर्थ-अन्यदा माताए ते सुमित्रने कळा मेळववा माटे कळाचार्यने सोंप्यो, ते वखते प्रथम बीजा राजपुत्रो पण त्यां अभ्यास माटे मूकायेला हता. // 30 // ते सौख्यलालिता मत्ता / महादुर्ललिताः सदा ॥न कुर्वति कलाभ्यास / स्वेच्छाचारविहारिणः // 31 // ___अर्थ-ते राजपुत्रो मुखमा लालित थयेला, मदोन्मत्त, महादुर्ललित अने स्वेच्छाचारी होवाथी कळाभ्यास करता न हता.॥३१॥ किंचिदंतमाचार्य-सन्मुखं ताडयंत्यमी // न सहते वचोमात्रं / दुर्जया हि यतो मदाः // 32 // ___ अर्थ-तेने आचार्य कांइ शिखामण तरीके कहेता तो ते तरतज सामु बोलता हता. मदवाळा अने दुर्जय एवा ते वचन मात्रने पण सहन करता नहोता. // 32 // PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust