________________ सुमित्र चरित्रम् // 56 // | रक्षाविधानयुक्खड्ग-मुष्टिर्भस्मकतां ययौ // सर्वापद्योगतस्ताव-कुमारोऽपि मुमूर्छ च // 75 // ___अर्थ-एटले ते तरतज काष्टनी जेम बळी गइ. रक्षाविधान युक्त खड्गमुष्टि रक्षारुप थइ गइ एटले सर्व प्रकारनी आपत्तिना | योगी कुमार मूर्छित थयो. // 75 // मिथ्या हाहारवश्चक्रे / मायाविन्या तया तदा // कार्यातरं परित्यज्य / तावदागान्नृपांगजा // 76 // अर्थ-ते वखते पेली मायावी वेश्याए मिथ्या हाहारव कर्यो, एटले बीजा काम तजी दइने तरतज राजपुत्री त्यां आवी. // | निश्चेष्टं पतितं वीक्ष्य / भर्तारं मूर्छया भुवि // तामपृच्छदिदं तेंब / जामातुः किमजायत / / 77 // ___ अर्थ-त्यां भर्तारने मूर्छित थइने पृथ्वीपर पडेल जोइ तेणे पेली वेश्याने पूछयु के-'तमारा जमाइने आम एकाएक शुं थयुं ?' न जानेऽहं तयोक्तेषा / खड़गमष्टिं विलोक्य च // भस्मीभतां ज्वलद्वहो। स्मृत्वोक्तं भर्तरात्मनः // 7 // ___अर्थ-ते बोली के-'तेनुं कारण हुँ कांइ जाणती नथी. ते वखते प्रियंगुमंजरी खड्गमुष्टि तपासवा लागी त्यां तेने अग्निमां | भस्मीभूत थयेली जोइने तेने पोताना पतिनां वचनो याद आध्यां / / 78 // विचक्षणा क्षणं स्थित्वा / ततः सा हृद्यचिंतयत् // नूनमस्या ह्यदः कार्य / शाकिन्या इव दुर्धियः // al अर्थ-पछी क्षणधार विचार करतां ते विचक्षणा हृदयमां समजी गइ के-"जरुर आ कार्य आ शाकिनी जेवी माठी बुद्धिवाळी स्त्रीमुंज छे.' // 79 / / ... DOODOODHD DODDDDDDDDDODE पावना पातना पचना याद आच्या.॥ 78 / / // 56 // PPAC Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust