________________ सुमित्र चरित्रम् // 54 // ____ अर्थ-हे नाथ ! यक्ष-राक्षस विगेरेना भयनी शंकायुक्त अने जंगलनी जेवा आ शून्य-उज्जड नगरमां आपणे शामाटे रहेQ | जोइए ? // 63 // कुत्रचिवसतिस्थाने / गम्यते चारु तत्प्रभो // त्वया ममाग्रतो वाच्य-मित्युक्ते यददत्यसो // 14 // अर्थ-माटे हे प्रभु! सुंदर वसतिवाळा स्थानमा रहेठाणमां आपणे जइए तो सारं.' // 64 / / प्रियंगुमंजरी मुग्धा / मेने तद्वचनं तदा // प्राप्यैकांतस्थितं कांतं / तथैव तदचीकथत् // 65 // ___ अर्थ-भोळी एवी प्रियंगुमंजरीए आ वचन सत्य मान्यु अने एकांत स्थान प्राप्त करीने तेणे पतिने उपरोक्त बीना जणावी.।६५। विहस्याथाब्रवीदेनां / सोऽपि वीरशिरोमणिः / / मा भैषीर्भिरुरंभोरु / यतो मे भीः कुतोऽपि न // 66 // ___अर्थ-वीरपुरुषोमां अग्रणी एवा तेणे वात हसी काढीने कयु के-'हे पिया ! तारे जरापण व्हीवु नहि, कारण के मने F कोइना तरफथी भयनी बीलकुल आशंका नथी, // 66 / / . तत्किं कारणमित्युक्ते / तया मधुरभाषया / कुमारः साहसागारो / दाक्षिण्यैकनिधिर्वरः // 67 // ____ अर्थ-' तेनु शु कारण ?' एम मधुर वाणीबडे स्त्रीए पूछतां साहसना घररुप अने चतुराइना भंडाररुप / / 67 // स्त्रीणां गुह्यं न वक्तव्यं / प्राणैः कंठगतैरपि / / भवितव्यतयावोच-निति नीतिं विदन्नपि // 68 // ___ अर्थ- कुमारे गळे प्राण आवे तो पण स्त्रीने गुप्त वात न कहेवी ए नीतिवाक्य जाणतां छतां, नसीवयोगे कयु के-॥ 68 // @@@@DODDDDDDDDOODae // 54 // Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.GunratnasuriM.S.