________________ सुमित्र चरित्रम् // 48 // _ अर्थ-तेज उद्यानना समीपना मार्गने छेडे एक वृक्षनी नीचे बेसीने राजा विगेरेना नामो लइ अत्यंत रुदन करवा लागो.॥ न त्यक्त्वा क्रीडा क्षणादेव / श्रुत्वा तत्परिदेवनं // आजग्मतुः पुरस्तस्या / दंपती तो दयापरी // 32 // ___अर्थ-तेनुं रुदन सांभळीने तरतज क्रीडा तजी दइने दया-परायण एवा ते दंपती तेनो पासे आव्या. // 32 // अत्यंतं विलपंती तां / दृष्ट्वावोचत्कुमारराट् // का त्वं मुग्धे व वा चात्र / कानने हंत रोदिषि // 33 // - अर्थ-तेने अत्यंत विलाप करती जोइने कुमारे पूछ्यु के-'हे मुग्धे ! तु कोण छे अने आ बगीचामां आवीने शामाटे रडे छ? | साभाषत दयाधार / शृणु मदुःखकारणं // कनकाख्ये पुरे ह्यस्मिन् / भूपोऽभूत्कनकध्वजः // 34 // ___अर्थ-एटले ते गणिका बोली के-'हे दयाना आधारभूत कुमार ! मारा दुःख कारण सांभळो ! आ नगरनो राजा जे कनकध्वज हतो // 34 // व स्वसाहं तस्य विख्याता | नाम्ना कमलसुंदरी // बाल्यं वयः समुल्लंघ्य / तारुण्यमलभे लसत् // 35 // अर्थ-तेनी हु कमळमुंदरी नामनी प्रख्यात व्हेन छु. हु बाल्यवयर्नु उल्लंघन करीने सुंदर तरुणावस्था पामी / / 35 / / शतयोजनदूरस्थ-मितोऽस्ति नगरं महत् // नाम्ना शंखपुरं तत्र / राजा शंखाभिधोऽभवत् // 36 / / | अर्थ-एटले अहींथी सो योजन दूर शंखपुर नामर्नु नगर छे तेनो शंख नामनो राजा / / 36 / / - |पर्यणैषीस मामत्रा-गत्य रूपवती सती // पितृदत्तां तदायत्तां / महोत्सवपुरस्सरं // 37 // // PP Ad Gunratnasun MS Jun Gun Aaradhak Trust