________________ चरित्रम सुमित्र- सा चेन्मिलति मे रामा। चिंतामणिरिवाद्भुता // संसारसागरे ह्यस्मिं-स्तदा प्राप्तं न किं मया // 16 // / अर्थ-चिंतामणी जेवी अद्भुत ते स्त्री जो मने प्राप्त थाय तो पछी आ संसारसागरमा हुं शुं न पाम्यो ? अर्थात् सर्व वस्तु पाम्यो गणाउं. // 16 // // 45 // | विचिंत्येति नृपः कामी / स्त्रीप्रियः क्षत्रियवजैः॥ संकुलायां विशालाक्षः। सभायामभ्यधादिति // 17 // ___ अर्थ-आ प्रमाणे विचारीने स्वीना लालचु, कामी अने विशाळ नेत्रवाळा ते राजाए उत्तम क्षत्रियोथी पूर्ण सभामां आ प्रमाणे जाहेर कयु के-॥ 17 // वारवाणोऽस्त्ययं यस्याः। कामिन्याः कमलालयः॥ तामेव कोमलालापां। यो मेलयति मामिह // 18 // अर्थ-लक्ष्मीना गृहतुल्य जे कामिनीनो आ कंचुक छे ते कोमळ आलापवाळी खो जे मने मेळवी आपशे, // 18 // स्वेच्छया याचितं तस्मै / ददामोति पणो मम // इत्युक्तेऽपि न जग्राह / कोऽपि तत्पाणिबीटकं // 19 // ___अर्थ-तेने तेनी इच्छाबडे जे मागशे ते हु आपीश. आ प्रमाणे हुं प्रतिज्ञा करूं छु.' आम कहे सते पण कोइए तेना हाथर्नु बीडु ग्रहण कर्यु नहीं. // 19 // सिद्धसोकोत्तरी तस्मिन् / प्रस्ताव गणिकाग्रणीः // वैरिणीति यथार्थाख्या। तत्रासीद्वाजपर्षदि // 20 // ___अर्थ-ते वखते राजसभामां सिद्धसीकोत्तरी (नी सहायतावाळी) वैरिणी एवा यथार्थ नामवाळी कोइक गणिकामां मुख्य 9 गणाती वेश्या बेठी हती ते चोली के-॥ 20 // . fol // 45 // PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust