________________ सुमित्र चरित्रम् // 42 // तेनाहृतैः स खलु तामिह पर्यणेषीत् // 7 // इति श्रीहर्षकुंजरोपाध्यायविरचिते दानरत्नोपाख्याने श्रीसुमित्रचरित्रे श्रीसुमित्रजन्मपरदेशगमनपाणिग्रहणवर्णनो नाम प्रथमः प्रस्तावः समाप्तः॥ अर्थ- प्रमाणे जगतमा अमूल्य एवो जय मेळवीने, प्रबळ रक्षाविधान तेमज प्रबळ पुण्यना प्रभावथी विपत्तिने दूर करीने G राक्षसे लावेला विवाहोपगरणोथी अनुरागपूर्वक कुमारे प्रियंगुमंजरीनुं पाणिग्रहण कयु. // 7 // // अथ द्वितीयः प्रस्तावः प्रारभ्यते // तदा प्रियंगुमंजर्या / सुमित्रः शुशुभे समं // दिव्यालंकारधारिण्या / सर्वाण्येव महेश्वरः // 1 // ____ अर्थ-दिव्यालंकार धारण करनारी प्रियंगुमंजरी साथे मुमित्रकुमार पाणिग्रहण करीने तेनी साथे सर्व प्रकारे महेश्वर जेवो शोभवा लाग्यो. // 1 // स कुमारस्तया साकं / तस्मिन्नेव पुरे स्थितः // सस्नेहं विलसदेहं / सानंदं व्यलसरसुखं // 2 // ___अर्थ-वळी ते कुमार तेणीनी साथे नगरमा रहेतो सतो स्नेह अने आनंद सहित विकसीत देहथी सुखभोग भोगवना लाग्यो.॥ सुदोलाखेलनैः पुष्प-फलावचयनादिभिः // वसंतों समायाते / चिक्रीडोद्यानकानने // 3 // अर्थ एवामां वसंतऋतु आवी एटले हिंचोळा पर सवावडे अने पुष्पो तथा फळो छुटवावरे स्थान बने काननमा तेजी कोडा करवा लाग्या. // 3 // aadeRDEDDDDDDDDDDDEMOR | // 42 // P.PAC Gunratnasun MS Jun Gun Aaradhal Trust