________________ सुमित्र | चरित्रम् // 11 // आपत्तिओ हेरान करशे. किंचासन्ने स्थितेऽवश्यं / कुमारस्तव नित्यशः॥ सुरासुरनरेंद्राणा-मजेयोऽस्मिन् भविष्यति // 48 // - अर्थ-बाकी आ रक्षाविधान पासे राख्वाथी तारो कुमार अवश्य निरंतर सुरासुरो तेमज नरेंद्रोथी पण अजेय थशे. / / 48 // | इत्थमुक्त्वा गते सिद्धे / खड्गमुष्टो निवेश्य तत् // पुत्रप्रत्यवदन्माता / हे वत्स शृणु मद्वचः // 49 // ___ अर्थ-आ प्रमाणे कहीने ते सिद्धपुरुष गये सते खड्गमी मुठमां ते रक्षाविधान गोपवीने माताए पुत्र प्रत्ये कड्यु के-'हे वत्स! मारुं वचन सांभळ, // 49 // ... तवासिमुष्टिमध्येऽदो। मया रक्षाविधानकं // सिद्धदत्तं प्रभावाढथं / क्षिप्तमस्ति महाद्भुतं // 5 // __- अर्थ-आ तारी तलवारनी मुठमां में सिद्धनुं करी आपेलु महा प्रभाववाळु महा अद्भुत रक्षाविधान गोपवेलं छे. // 50 // कः प्रभावोऽस्य पृष्टे सा / कुमारेणेति सादरं // सर्वमाख्याय सिद्धोक्तं / पुत्रप्रति पुनर्जगौ // 51 // . अर्थ-एटले पुत्रे आदरपूर्वक माताने पूछयु के-तेनो प्रभाव शुं छे ?' एटले तेणे सिद्धना कह्या प्रमाणे सर्व वात कही | अने पछी कड्यु के-॥५१॥ रक्षणीयमतो यत्ना-खड्गमुष्टिस्थमद्भुतं // न खड्गोऽपि त्वया हेयो / दूरं क्षणमपि खतः // 52 // 1. अर्थ-आटला माटे मुठमा राखेलं आ अद्भुत रक्षाविधान तारे यत्नपूर्वक जाळवq. आ खड्ग तारे क्षणमात्र पण ताराथी छेटुं राखवू नहीं; कायम पासेज राखवु. / / 52 / / DDDDDDDDDDDDDDDDDDROID PP Ae Gunratnasur MS Jun Gun Aaradhak Trust