________________ सुमित्र // 10 // | मयेदं ज्ञायते सम्य-क्तर्हि त्वं कुरु बांधव // तादृशं येन मत्पुत्रो / नापद्भिः पीड्यते कचित् // 43 // चरित्रम् ___अर्थ-'हु जाणुं छु' राणीए का के-'तो हे बांधव ! तमे एबुं रक्षाविधान करी आपो के जेथी मारो पुत्र कोइपण वखते - आपत्तिथी पीडाय नही. // 43 // जन्मपत्री सुमित्रस्य / समानाय्य विलोक्य च // भाविनीरापदो मत्वा / चक्रे रक्षाविधानकं // 44 // . अर्थ-पछी ते सिद्धपुरुषे सुमित्रनी जन्मपत्रिका मगावी जोइने तेने भविष्यमां अनेक आपत्तिवाळो जाणीने तेनु रक्षाविधान | करी आप्यु // 44 // दानसन्मानसंतुष्टो / दत्वा रक्षाविधि जगौ // कृतकर्मानुभावेना-गमिन्यः संत्यनेकशः // 45 // ___ अर्थ-पछी दानमानादियी संतुष्ट थयेला ते सिद्धपुरुषे रक्षाविधान आपता कयु के-" तमारा पुत्रने पूर्वकृत कर्मना प्रभावी अनेक प्रकारनी // 45 // आपदोऽमुष्य तेनेदं / सामीप्ये यत्नतोऽनिशं॥ रक्षणीयमतो नासा-वापदभ्यो भयमाप्स्यते ॥४६॥युग्म। अर्थ-आपत्तिओ आवशे, तेथी तेणे आ रक्षाविधान कायम पोतानी पासे यत्नपूर्वक जाळवीने राखवू, जेथी तेने कोइपण आपत्तिथी भय प्राप्त थशे नहीं. // 46 // गते हृते विनष्टे वा-मुष्मिन् रक्षाविधी समं // लगिष्यंत्यापदो ह्यस्मिन् / यथा गावो जलाशये // 47 // ___अर्थ-आ रक्षाविधान जशे, खोवाशे के नाश पामशे तो तेने कादवबाळा जळाशयमा खुची जवाथी गायनी जेम अनेक // 10 // @GOOOOOOOOOOOOOOODन PPA Gunratrasuri MS Jun Gun Aarndhak Trusi