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________________ र असूत समये पुत्रं / प्राचीव रविमंडलं // सच्चक्रानंदनं स्वस्य / पितुः शत्रुतमोऽपहं // 34 // | चरित्रम् ___अर्थ-योग्य समये पूर्व दिशा जेम मूर्यने प्रसवे तेम तेने पुत्रनो प्रसव थयो. ते पोताना परिवारना समृहमां आनंददायक थयो |ल पुत्रजन्म स विज्ञाय / परमानंदमेदुरः // विस्तरेण नराधीशो। वर्धापनमचीकरत // 35 // अर्थ-राजा पुत्र जन्मनी हकीकत जाणीने परमानंद पाम्यो अने विस्तारथी जन्मोत्सव करी माणसोने वधामणीओ आपी. न षष्टीजागरिकामुख्ये / व्यतिक्रांते महोत्सवे // सन्मान्य ज्ञातिवर्ग स / द्वादशे दिवसे नृपः॥ 36 // अर्थ-पष्टीजागरिका विगेरे महोत्सवो व्यनिक्रांत थये सते बारमे दिवसे राजाए पोताना ज्ञातिवर्गनुं अन्नपानादिवडे सन्मान करीने, अस्मिन् गर्भावतीणेऽस्य | माता श्रीइंद्रमैक्षत // स्वप्नानुसारतश्चक्रे / इंद्रदत्त इति प्रथां // 37 // | अर्थ-आ पुत्र गर्भमां आव्यो त्यारे तेनी माताए इंद्रने स्वममां जोया हता तेथी स्वमानुसारे तेनुं इंद्रदत्त नाम पाडयु.॥३७॥ लाल्यमानस्तु धात्रीभिः। सार्धं पितृमनोरथैः // बभूव वर्धमानोऽसा-वष्टवर्षवयाः क्रमात // 38 // . ___अर्थ-मातापिताना मनोरथो साथे धात्रीओथी पालन पोषण करातो ते पुत्र दृद्धि पामवा लाग्यो. अनुक्रमे ते आठ वर्षनो थयो. बाल्येऽन्यकुमरैः साक-मिंद्रदत्तः कुमारकः : चिक्रीड बहकेलीभिः / स्वोचिताभिरहर्निशं // 39 // ___अर्थ-बाल्यावस्थामा ते राजपुत्र अन्य कुमारोनी साथे पोताने उचित एवी अनेक प्रकारनी क्रीडाओ अहर्निश करवा लाग्यो. DDDDDDDDDDDDDDDDDDEDDED P.P Ad Gunratnasur MS Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036497
Book TitleSumitra Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkunjar Upadhyay
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1936
Total Pages126
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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