________________ 2SAL VAS भाषाटीकासहित. वावरको वावरो कियो रणस्वाद चखाई। कितेक राजारावल रावत शिरहिं नवाई / / रत्नसिंह मेवाड रत्न निःशंकसदाई। पुरके फाटक रातदिवस राखे खलवाई॥ निज भुजबलनहिं घुसनदियेयवनरजधानी। जिनके यशकी सदा जगतमें चली कहानी। विगत निशामये उदय भानुखललंपटलाजे। चहुंदिशिछायो प्रतापसिंह लखिगीदडमाजे। अबु सोचनकी कौन बात है शूरवीरगन / उठौ उठौकटिकसौयादकरिनिजपवित्रपना जिनके नायक खुदप्रतापतिनको का संशयः जिनकी टेढीभृकुटीलखिभाजत जगकेभय। जबलौ घटमें प्राण न तबलौ छुअन दीजै। यवन सैनमेवारहिं लखि लखि हाथनिमीजै। - कोउकाजज़ग कठिन नाहिं जो दृडव्रतधारो P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust