________________ 57 भाषाटीकासहित. पिताकी सेवा तन मन धनसे करने लगा, यह आख्यान महाभारतमें सविस्तार है. मू० सुतं पतन्तं प्रसमीक्ष्य पावके न बोधयामास पतिं पतिव्रता // अभूत्तदानी व्रत भंग शंकया हुताशनश्चन्दनपङ्कशीतलः॥१॥ अर्थ-एक पतिव्रता स्त्रीका पति अपनी स्त्रीके घुटनेपर शिरधरे सो रहाथा, इतने में उसका बालक खेलता हुआ आग्निकुंडमें जाय गिरा, पतिव्रताने पतिकी नींद भंग होजानेके कारण अग्निमें बालकको गिरते हुये देख करकेभी पतिको नहीं जगाया, पतिव्रतभंग न होजाय इस आशंकासे अग्नि चन्दनकी कीचके समान शीतल होगई, ऐसा पतिव्रतधर्मका माहात्म्य है. .. भारत माता.... कुछ निद्रित और कुछ जागृतभाववाली भारत माताके पति भारतदुर्गाकी होली P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. . Gun Aaradhak Trust